क्या कोविड -19 वायरस लंबे समय तक हमारे
साथ रहेगा? क्या हमें अब इसके साथ ही रहना सीखना
होगा?
क्या हमारा हर बार का "कोल्ड एंड फ़्लू सीजन" अब
"कोल्ड एंड फ़्लू एंड कोविड -19 सीज़न" हो सकता है?
पिछले कई सालो में हमने ऐंसे वायरसोंके साथ जीना सीखा है जो
हमारे श्वासतंत्र पर अचानक हमला करके हमें मौत के मुहं तक ले जा सकते हैं- जैसे स्वाइन
फ्लू, 4 से अधिक कोरोना वायरस, और अन्य मानव श्वसन वायरस और वे अभी
भी हमारे साथ मे हैं। आपको ये जान के हैरानियत होंगी की डब्लू.
एच. ओ. (WHO) (Ref 1) के हिसाब
से हर साल (Annual epidemics) पुरे विश्व मे सिजनल इंफ्लूएन्झा (Seasonal Influenza-Flu) से 290000 से 650000 लोगों कि मौत होती है. 2017-2018 के
सर्दी (Winter) के
सीजन मे अकेले यु. एस. (US) मे 61000, इटली
मे 17000 से
ज्यादा, और भारत मे 1128 लोगों कि सिजनल इंफ्लूएन्झा से मौत
हुई थी (Ref 2, 3, 4). और ऐसा हर साल के सीजन मे होता है. और फिर
भी हम इनके साथ सालोसे जी रहे है. तो क्या हमें कोविड -19 के साथ भी जीना सीखना
होगा?
हार्वर्ड एपिडेमियोलॉजी के प्रोफेसर मार्क लिपिसिच ने कहा है
कि दुनिया की लगभग 40 से 70 प्रतिशत आबादी अगले साल तक कोविड -19 वायरस से
संक्रमित हो जायेगी. (उदा: जैसे इंफ्लूएन्झा (स्वाईन फ्लू) के साथ हम ऐसा ही होता
हुआ देख चुके है)। लेकिन साथ ही वे यह भी दृढ़ता से कहते हैं कि इसका मतलब यह नहीं
है कि हर किसी को इससे गंभीर बीमारी होगी या मौत का खतरा होगा. उनमें से ज्यादातर
को कोई लक्षण ही नहीं रहेंगे या फिर बहुत हल्की बीमारी होंगी, और इस
तरह वायरस तो फैलता ही रहेगा (Ref-5)।
डब्ल्यू एच ओ (Ref-6) और ब्रिटिश मेडिकल
जर्नल (Ref-7) में हाल
ही मे प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कोविड -19 वायरस से संक्रमित 80%
लोगों में बिमारी के कोई लक्षण नहीं पाये जा रहे हैं. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान
परिषद (ICMR) के
महानिदेशक श्री. बलराम भार्गव, (Ref-8) ने भी इस पर अपनी सहमती दि हैं।
ज्यादातर लोगों में कोविड
के कारण लक्षण नहीं दिखाई देते हैं या कम आते हैं, इससे ये साबित होता है कि इस वायरस कि घातकता (खतरा- virulence) बहुत कम है।
यांनी, जिस तरह से पिछली विश्वव्यापी महामारीयों
में कई लोग नहीं जानते थे कि वे वायरस से संक्रमित हुये हैं, क्योंकी उनमे बिमारी
के लक्षनों की कमी थी या सिर्फ हल्के फ्लू जैसे लक्षण थे; उसी तरह, ज्यादातर
लोगों को इस बार भी पता नहीं चलेंगा कि कोविड ने उन्हें संक्रमित किया है। और कोविड
उसी तरह फैलेंगा जैसे ये पिछले वायरस अब हर जगह फैल चुके है।
द लांसेट मेडिकल जर्नल में 29.02.2020 (Ref-9) की प्रकाशित
एक अध्ययन के अनुसार कोविड- 19 से संक्रमित मगर रोग के लक्षण
न दिखाने वाले लोगों का पहले से ही व्यापक रूप से फैलाव हो चुका है, इसलिए आगे
आनेवाले सालों में बडे शहरों में कोविड- 19 का स्वतंत्र संक्रमण बार-बार देखणे में
आ सकता है (जैसे कि फ्लू के साथ हो रहा है)।
टॉम जेफरसन (An epidemiologist and honorary research
fellow at the Centre for Evidence-Based Medicine at the University of Oxford) ने ब्रिटिश मेडिकल जर्नल मे
बताया हैं की अगर कोविड-19 के ऐसे लक्षण न रहने वाले लोगों मे से अगर सिर्फ 10% लोग
बाहर हैं, तो इसका
मतलब है कि वायरस हर जगह फैल चुका है। इसका मतलब हमने जबसे कोविड के फैलाव को समझना
शुरू किया उसके बहोत पहलेसे हि (यांनी लंबे समय से) यह वायरस लोगों में घूम रहा था.
इसलिए, इस संभावना
से इनकार नही किया जा सकता की एक बहुत बड़ी आबादी पहले से ही कोविड-19 से संक्रमित
हो चुकी हैं। टॉम जेफरसन ने यह भी कहा कि, यदि इतने सारे लोग पहले से ही संक्रमित
हैं, तो
लॉकडाउन पर सवालिया निशान पैदा होता हैं? (Ref-10)।
भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में कोविड-19 से संक्रमित बिना
लक्षण वाले लोगों को खोज पाना और क्वारंटाइन करणा न
केवल कठिन है, बल्कि असंभव है.
विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड -19 संभवतः पहले से मौजूद मानव श्वास
रोगों के वायरस सेट का एक स्थायी हिस्सा होगा। (Ref -11 और 12)।
इंसानों में अभी तक पहले से मौजूद चार कोरोना वायरसों के
लिए लंबे समय तक प्रभावी प्रतिरक्षा (इम्युनिटी) अभी तक विकसित नहीं हो सकी हैं। इसलिये
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोविड -19 भी पिछले कोरोना वायरसेस का ही अनुसरण
करता है और इसी तरह फैलना जारी रखता हैं तो आगे से सभी हमारे "कोल्ड और फ्लू के
मौसम" अब "कोल्ड और फ्लू और कोविद-19 मौसम/सीज़न" हो सकते है।(Ref-13)
विशेषज्ञों के इस अनुमान के बाद अब ऐसा लगने लगा
हैं की कोविड -19 वायरस यहां लम्बे समय तक रहने के लिए आया है। इसलिए, जैसे
हमने पहले आ चुके 4 से अधिक कोरोना वायरस, स्वाइन फ्लू और अन्य श्वासरोग वायरसों
के साथ रहना और जिना सिख लिया है वैसे ही कोविड-19 के साथ रहना और जिना सिखना
पडेंगा।
यदि हम पिछले महामारीयों पर नजर डालेंगे तो समझ पायेंगे कि
कोई नया वायरस स्वयं ही निर्धारित करता है कि उसे आपके साथ कितने समय तक रहना हैं.
हमारा दुर्भाग्य हैं कि मानव यह समय निर्धारित नहीं कर सकता।
संकलन:
डॉ। इंद्रजीत खांडेकर
प्रोफेसर। फोरेंसिक विज्ञान विभाग, एमजीआईएमएस
सेवाग्राम।
References: